झारखंड अब शायद ऐसा ही होगा. पूरे देश में ये एक मात्र प्रदेश होगा जिसके डीजीपी को सैलरी नहीं मिलती. इसके अलावे याद कीजिए ….अरे कीजिए न भाई साहेब! कैसे सीएम के बहुत खास मिस्टर विनय चौबे अपनी रौब दिखाते थे. सारा काम उन्हीं के जिम्मे था. वो शराब और सीएम साहेब का सारा काम करते थे. मतलब हद है, अब वो राज्य पुलिस के चंगुल में हैं. सब कुछ प्लानिंग से हुआ. होना भी चाहिए. लेकिन इसका फलसफा कुछ और ही निकलना है. और वो होगा भी.
आज का सुपर सीएम कौन?
जनता को इससे कोई मतलब नहीं है, कि आज का सुपर सीएम कौन है. किसका दिमाग काम कर रहा है, और किसका दिमाग खराब है, ये तो वक्त के तकाजे पर निर्भर है. इस साल के पहले कुछ आइएस अधिकारी राजनीति की वजह, या फिर अपने फायदे के कारण से फंसे, फंसाए गए? लेकिन आज हालात बद से बदतर है. यहां कोई सेफ नहीं. क्योंकि सुपर सीएम का दिमाग चाचा चौधरी से भी तेज आज कल चल रहा है. लेकिन आज हो या कल वो भी पक्का नपेंगे. बिजली की करेंट से लेकर तमाम चीजों का सबूत उनको देना होगा, खैर…अभी वो लाजवाब हैं.
अभी के हर मास्टर स्ट्रोक को नापा भी जा रहा है
बोलने वाले ये बोल रहे हैं कि गजब का है मास्टर स्ट्रोक. शायद कुछ मिल रहा होगा? शायद! लेकिन ये मास्टर स्ट्रोक एक दिन गले का फंदा बनेगा. (छोटी मुंह और बड़ी बात.) ऐसा हो या न हो. लेकिन ये तो तय है कि झारखंड जिस राजनीति शांति में नींद ले रहा है, ऐसी कुछ देर की ही बात है. सुपर सीएम आज घमंड कर लें, लेकिन उनको अपने भाई और भतीजों की भी भूतकाल देख लेनी चाहिए.